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مشاهدة النسخة كاملة : غدا سيموتون في فلسطين/ ياسِن كروموف



د.عبدالرحمن أقرع
16/01/2009, 03:10 PM
غداً سيموتون في فلسطين
للشاعر البلغاري: ياسِن كروموف
ترجمة: د.عبدالرحمن أقرع
نعم ، تعتريني الرعشة أحيانا
تولد في كل مرةٍ فلسطين
غير متعبةٍ من التجارب المرعبة
ودون تعبٍ للقتال

نعم، أنا كاتب
ولا أتخذ موقفاً
عضوٌ حتى الموت
في كتيبتهم؟
لا
تحصدني في كل ليلة
وتقتلني هذه الهواجس
أنهم سيموتون غداً
نعم، نعم، سيصبحون موتى
ومحطة التلفاز تلك
لن تبث بثاً حياً
آنذاك، وببثٍّ حي
ستدك الطائرات السماء التي تحت الأرض
ستبكي أمهاتٌ أطفالهن
كما وسيبكي أطفالٌ أمهاتهم
هل ستتوقفون؟
كلا!
حسناً!
إذن سأحكي لكم عن هديل
-نعرفها حكايتك
-وماذا تعرفون؟
-هذه طفلة..أليس كذلك؟
-بالضبط!
-تعيش في صحراءٍ سوداء؟
-نعم.
-هي الآن بخير!
-كيف بخير؟
-تحظى بوسائل الراحة
تشرب ماءً
في الصحراء الرمادية
-هيه..مرحباً هديل!
هديل لا تسمعني
بل تسمع خيولاً
تحمل الماء الأخير على هذه الأرض...
الحرب..
نعم، تعتريني الرعشة أحياناً
تولد في كل مرة هديلي
حية بعد كل المحاولات المرعبة
غير متعبة من القتال
نعم، كاتبٌ أنا، ربما
لا أتخذ موقفا
عضو في كتيبتهم حتى الموت؟
أبداً
وعليه: أنا أحب هديل
وأحب الحياة
وحيدةً...تبكي الصحراء...


В Палестина утре ще умрат...
Ясен Крумов- Хенри

Да, побиват ме тръпки понякога.
Ражда се всеки път Палестина.
Неуморна от страшни опити,-
неуморна да се сражава!
Да, писател съм, -
не взимам позиция.
Член на смъртта –
на отряда им?
Не!
Покосява ме всяка нощ, -
умъртвява ме тази мисъл:
”Утре ще умрат!”
Да, да , ще са мъртви...
И онази телевизия няма да предава тогава...
На живо!
А тогава, на живо...
Самолети ще дупчат подземно небе,
майки ще плачат за деца,
и деца ще плачат за майки...
Ще спрете ли?
Няма!
Добре!
Тогава ще ви разкажа
за Адил...
- Знаем я твоята приказка....
- И какво знаете?
- Това е дете, нали?
- Точно така!
- Живее в пустинята черна?
- Да.
- Сега е добре тя!
- Как добре?!
- Има удобства!
В пустинята сива,
Адил вода пие.
- Хей, здрасти, Адил!
Адил не ме чува...
Чува конете,-
носещите последната на тази Земя
Вода.
Война...

Да, побиват ме тръпки понякога.
Ражда се всеки път тази моя Адил.
Жива след страшни опити,-
неуморна да се сражава!
Да, писател съм, може би...
Не взимам позиция.
Член на смъртта –
на отряда им?
Никога!
Та, аз обичам Адил!
И живота!!!
Сама, пустинята плаче...

ابراهيم درغوثي
16/01/2009, 09:55 PM
الرائع عبدالرحمان أقرع
شكرا على ترجمة هذا النص الجميل
هذا النص الذي يؤكد لنا أن قضية شعبنا في فلسطين انسانية
يقف معها كل انسان محب للسلام والعدل في كل الدنيا

نصر بدوان
17/01/2009, 09:05 AM
لقد ملأ الصهاينة العالم بصراخهم عن محرقتهم, حتى استدروا عطف العالم وابتزوه فأعانوه غلى اغتصاب فلسطين

وآن أن نملأ الدنيا بالحديث عن كافة المحارق التي اتربتها الصهيونية ضد الشعب الفلسطيني والعربي بدءا من دير ياسين

والنتهاء بغزة, ليرى العالم أن هذا كيان لقيط خارج على كل القيم والشرائع, وبالتالي يمكن اجتثاثه, حتى يعم الأرض السلام
.
شكرا لك دكتور على الترجمة ونتمنى من كل أدبائنا القادرين أن يقوموا بالترجمة من العربية وإلى العربية بكل اللغات الحية

حتى تصل الرسالة.

تحياتي