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الموضوع: سطوة - قصة مترجمة - للكاتب الروسي دانييل خارمس

  1. #1
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    24/09/2013
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    افتراضي سطوة - قصة مترجمة - للكاتب الروسي دانييل خارمس

    سطوة
    -----------
    قال فاول : " نحن نقترف الخطايا ونفعل الخير بصورة عمياء . فعندما وصل كاتب العدل على دراجته إلى كنيسة " كازانسكي " فجأة اختفى . هل كان يعلم بأن ما كان يتربصه :خير أم شر ؟
    أو حادثة مثل هذه: فنان اشترى معطف فرو ، باعتقاد أنه أحسن إلى تلك العجوز التي باعته المعطف تحت وطأة الحاجة ، لكن بالمقابل فإن عجوز أخرى ،وتحديداً والدته ، التي كانت تعيش معه والتي كانت عادة تنام في غرفة المعيشة ، حيث علق الفنان معطف الفرو الجديد ، هو بكل المقاييس قد ارتكب فعلاً شريراً في حقها، لأن الروائح الحادة للنفتالين والفورمالين كانت تفوح من المعطف بصورة لا تطاق ، إلى درجة أن العجوز ، والدة الفنان ، في أحد الأيام لم تتمكن من الاستيقاظ وماتت.
    أو خذ عندك هذا :خطاط أصبح ثملاً من شراب الفودكا ، ورسم ألغازاً ، في اعتقادي، حتى الكولونيل " ديبيتش " لن يكون قادراً على فك طلاسمها، هل هذا خير ، أم هو شر . من الصعوبة بمكان التمييز بين الخير والشر ".
    أما " ميشين " الذي كان يفكر في كلمات " فاول " ، فقد سقط من مقعده ،وتأوه متوجعاً على الأرض : خو – خو ، تشيه – تشيه .
    واصل فاول حديثه قائلاً : " لنأخذ الحب مثلاً.هو خير وهو كذلك شر. فمن ناحية يقال لك: أحب ومن الناحية الأخرى يقال لك :لا تعبث. ربما من الأفضل أن لا تحب أصلاً؟ ولكن يقال لك : أحب. وإذا أحببت – تعبث بالتأكيد. ما العمل إذن ؟ ربما عليك أن تحب ، أليس كذلك ؟
    حسناً ، لماذا إذن عند كل الشعوب تستخدم نفس الكلمة للتعبير بأن الحب كذا والحب ليس بكذا ؟
    إليك قصة فنان أحب أمه وأحب فتاة يانعة مكتنزة . وأحبهما بطريقتين مختلفتين . فمنح فتاته الجزء الأكبر من راتبه. وترك أمه شبه جائعة، بينما الفتاة كانت تأكل وتشرب عن ثلاثتهم .الأم كانت تنام في غرفة المعيشة على الأرض ، بينما كان رهن استخدام الفتاة غرفتين جيدتين.كان في حوزة الفتاة أربعة معاطف ، بينما امتلكت الأم معطفاً وحيداً . ليس هذا فحسب بل أن الفنان أخذ من أمه معطفها الوحيد وفصل منه تنورة لفتاته.أخيراً ، كان الفنان يلهو مع الفتاة ، لكنه لم يكن يعبث مع أمه ، بل أحبها حباً نقياً.لكن الفنان كان خائفاً من فقدان أمه ولم يكن خائفا من فقدان فتاته.وعندما ماتت الأم، انتحب الفنان، وعندما سقطت فتاته من النافذة وماتت بدورها ، لم تدمع عيناه، بل صادق فتاة أخرى .
    عليه فإن قيمة الأم مثل قيمة التحفة النادرة التي لا مثيل لهاولا يمكن استبدالها.
    عندها قال " ميشين" وهو لا يزال مستقلياً على الأرض : شو- شو ، خو- خو
    واصل " فاول" قائلاً : وهذا يسمى حباً نقياً ! هل هو حب صالح ؟ وإذا لم يكن حباً صالحاً ، إذن كيف يكون الحب؟
    احدى الأمهات أحبت طفلها. كان عمره عامين ونصف.حملته إلى الحضانة وأجلسته على الرمال . حيث أحضر أمهات أخريات أطفالهن إلى نفس المكان.
    أحياناً يجتمع أربعون طفلاً صغيراً على نفس البقعة من الرمال.هكذا وفي أحد الأيام هجم كلب مسعور على تلك الحضانة،واندفع مباشرة نحو الأطفال وبدأ يعضهم .
    تدافعت الأمهات متصايحات بذعر نحو أطفالهن ، بما في ذلك الأم المعنية .
    التي قامت ، مخاطرة بنفسها، بانتزاع طفل من بين فكي الكلب ، بحسبان أنه طفلها.لكنها عندما نظرت إلى الطفل ، تبينت بأنه ليس طفلها،قامت بإلقائه مرة أخرى إلى الكلب ، لتخطف طفلها وتنقذه من براثن الموت الذي كان يرقد بجواره تماماً .
    من يجيبني : هل ارتكبت خطيئة هي أم أنها فعلت خيراً ؟
    سيو-سيو – قال " ميشين" ، متقلباً على الأرض.
    واصل "فاول" حديثه قائلاً : "هل يقترف الحجر خطيئة ؟ هل تقترف الشجرة خطيئة ؟ هل يقترف الوحش خطيئة ؟ أم أن من يقترف الخطيئة هو الإنسان وحده ؟
    -مليام – مليام ، قال " ميشين " ، مستمعاً إلى كلمات " فاول " ، شوب - شوب
    واصل " فاول " حديثه : " إذا كان الإنسان وحده هو الخاطئ، إذن فإن جميع خطايا العالم إنما هي بداخل الإنسان نفسه .الخطيئة لا تلج إلى جوف الإنسان ، ولكنها تخرج منه فقط .
    تماماً كالغذاء : يلتهم الإنسان طعاماً صالحاً ، ويخرج فضلات طالحة. في هذا العالم لا يوجد شيء غير صالح ، فيما عدا تلك الأشياء التي يستهلكها الإنسان، يمكن أن تصبح طالحة.
    -أومنياف، - قال " ميشين"،محاولاً النهوض من على الأرض.
    واصل " فاول " : ها أنذا قد تحدثت عن ا لحب ، تحدثت عن حالاتنا تلك الآنفة، التي تسمى بكلمة واحدة " حب " . هل هذا خطأ لغوي ، أم أن جميع تلك الحالات تعبر عن نفس الشئ ؟
    حب الأم لطفلها ، حب الإبن لأمه ، حب الرجل للمرأة – ربما – كل هذا هو الحب نفسه؟
    بالتأكيد ، - قال " ميشين " ، مومئاً برأسه.
    قال "فاول" : نعم ، أنا أعتقد ، بأن جوهر الحب لا يتغير اعتماداً على : من يحب من ، فإنه قد تم مسبقاً صرف كمية محددة من الحب لكل شخص. وكل شخص يسعى لإيجاد مكان ما لايداعها، دون الخروج من قوقعته . إن اكتشاف سر التحولات الغامضة والخصائص الدقيقة لأرواحنا ، التي تشبه جوالاً من النشارة ....."
    -يكفي! – صاح " ميشين" ، وهو يقفز واقفاً من على الأرض – أغرب عني !

    فتناثر فاول ، مثل مكعب سكر تالف .
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    دانييل خارمس - 1940
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    ترجمة : إبراهيم فضل الله
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    النص الأصلي :
    ВЛАСТЬ
    Фаол сказал: "Мы грешим и творим добро вслепую. Один стряпчий ехал на велосипеде и вдруг, доехав до Казанского Собора, исчез. Знает ли он, что дано было сотворить ему: добро или зло? Или такой случай: один артист купил себе шубу и якобы сотворил добро той старушке, которая, нуждаясь, продавала эту шубу, но зато другой старушке, а именно своей матери, которая жила у артиста и обыкновенно спала в прихожей, где артист вешал свою новую шубу, он сотворил по всей видимости зло, ибо от новой шубы столь невыносимо пахло каким-то формалином и нафталином, что старушка, мать того артиста, однажды не смогла проснуться и умерла. Или еще так: один графолог надрызгался водкой и натворил такое, что тут, пожалуй, и сам полковник Дибич не разобрал бы, что хорошо, а что плохо. Грех от добра отличить очень трудно".
    Мышин, задумавшись над словами Фаола, упал со стула.
    - Хо-хо, - сказал он, лежа на полу, че-че.
    Фаол продолжал: "Возьмем любовь. Будто хорошо, а будто и плохо. С одной стороны, сказано: возлюби, а, с другой стороны, сказано: не балуй. Может, лучше вовсе не возлюбить? А сказано: возлюби. А возлюбишь - набалуешь. Что делать? Может возлюбить, да не так? Тогда зачем же у всех народов одним и тем же словом изображается возлюбить и так и не так? Вот один артист любил свою мать и одну молоденькую полненькую девицу. И любил он их разными способами. И отдавал девице большую часть своего заработка. Мать частенько голодала, а девица пила и ела за троих. Мать артиста жила в прихожей на полу, а девица имела в своем распоряжении две хорошие комнаты. У девицы было четыре пальто, а у матери одно. И вот артист взял у своей матери это одно пальто и перешил из него девице юбку. Наконец, с девицей артист баловался, а со своей матерью - не баловался и любил ее чистой любовью. Но смерти матери артист побаивался, а смерти девицы - артист не побаивался. И когда умерла мать, артист плакал, а когда девица вывалилась из окна и тоже умерла, артист не плакал и завел себе другую девицу. Выходит, что мать ценится, как уники, вроде редкой марки, которую нельзя заменить другой".
    - Шо-шо, - сказал Мышин, лежа на полу. Хо-хо.
    Фаол продолжал:
    "И это называется чистая любовь! Добро ли такая любовь? А если нет, то как же возлюбить? Одна мать любила своего ребенка. Этому ребенку было два с половиной года. Мать носила его в сад и сажала на песочек. Туда же приносили детей и другие матери. Иногда на песочке накапливалось до сорока маленьких детей. И вот однажды в этот сад ворвалась бешеная собака, кинулась прямо к детям и начала их кусать. Матери с воплями кинулись к своим детям, в том числе и наша мать. Она, жертвуя собой, подскочила к собаке и вырвала у нее из пасти, как ей казалось, своего ребенка. Но, вырвав ребенка, она увидела, что это не ее ребенок, и мать кинула его обратно собаке, чтобы схватить и спасти от смерти лежащего тут же рядом своего ребенка. Кто ответит мне: согрешила ли она или сотворила добро?"
    - Сю-сю, - сказал Мышин, ворочаясь на полу.
    Фаол продолжал:"Грешит ли камень? Грешит ли дерево? Грешит ли зверь? Или грешит только один человек?"
    - Млям-млям, - сказал Мышин, прислушиваясь к словам Фаола, - шуп-шуп.
    Фаол продолжал: "Если грешит только один человек, то значит, все грехи мира находятся в самом человеке. Грех не входит в человека, а только выходитиз него. Подобно пище: человек съедает хорошее, а выбрасывает из себя нехорошее. В мире нет ничего нехорошего, только то, что прошло сквозь человека, может стать нехорошим".
    - Умняф, - сказал Мышин, стараясь приподняться с пола.
    Фаол продолжал: "Вот я говорил о любви, я говорил о тех состояниях наших, которые называются одним словом "любовь". Ошибка ли это языка, или все эти состояния едины? Любовь матери к ребенку, любовь сына к матери и любовь мужчины к женщине - быть может, это все одна любовь?"
    - Определенно, - сказал Мышин, кивая головой.
    Фаол сказал: "Да, я думаю, что сущность любви не меняется от того, кто кого любит. Каждому человеку отпущена известная величина любви. И каждый человек ищет, куда бы ее приложить, не скидывая своих фюзеляжек. Раскрытие тайн перестановок и мелких свойств нашей души, подобной мешку опилок..."
    - Хвать! - крикнул Мышин, вскакивая с пола. - Сгинь!
    И Фаол рассыпался, как плохой сахар.
    1940


  2. #2
    أستاذ بارز الصورة الرمزية نزار سرطاوي
    تاريخ التسجيل
    21/05/2010
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    معدل تقييم المستوى
    14

    افتراضي رد: سطوة - قصة مترجمة - للكاتب الروسي دانييل خارمس

    الأستاذ إبراهيم

    شكرا لك لترجمة المزيد من أعمال خارمس القصصة مما يتيح لنا ولوج عالم هذا الكاتب بألوانه الإبداعية المتنوعة
    كل التقدير


    أنا لا أتحدّى القدر
    وإذا ما تحديته
    فالتحدّي قدر
    وإذا ما انتصرت على بصمات القدر
    فانتصاري قد
    ر


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